कोरोनावायरस को जैविक हथियार के रूप में तैयार किये जाने के बाद, उसके भयानक दुस्प्रभाव पर ग्रेटगेमइंडिया की व्यापक रिपोर्टिंग के प्रत्यक्ष प्रभाव से अब भारत ने चीन को कोरोनावायरस जैविक युद्ध के लिए अंतरराष्ट्रीय अदालत में घसीटा है। चीन से मुआवजे की मांग करने वाली संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से भारत नें ग्रेटगेमइंडिया की रिपोर्ट के तर्ज पर शिकायत दर्ज कराई है कि कैसे चीनी बायो-वॉरफेयर एजेंटों ने कनाडाई लैब से कोरोनावायरस को चुराया और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में इसे हथियार के तौर पर तैयार किया।
भारतीय शिकायत के अलावा, अमेरिका द्वारा भी चीन के खिलाफ एक जैविक युद्ध छेड़ने के लिए $20 ट्रिलियन का मुकदमा दायर कराया गया है। यह मामला टेक्सास फेडरल कोर्ट में दायर किया गया है।
इस तरह की व्यापक रिपोर्टिंग करने की वजह से कुछ तथा-कथित फैक्ट-चेकर संगठनों जैसे NewsGuard द्वारा ग्रेटगेमइंडिया पर लगातार बड़े पैमानें पर आलोचनात्मक हमला किया जा रहा है। जाबकी NewsGuard को खुद बिल गेट्स की संस्था द्वारा फंडिंग दी जाती है, ताकि इस मामले में उसका नाम ना आये। मुख्यधारा की मीडिया को GGI से उसका नाम ख़राब करनें और लगातार उसकी गलत निंदा करने के लिए माफी मांगनी चाहिए। जहाँ एक तरफ मुख्यधारा की मीडिया ‘हितों के टकराव’ के मूल प्रश्न को पूछने में विफल रहा है तो वहीँ GGI नें डंके की चोट पर लगातार इन मुद्दों को उठाया है।
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शिकायत की मुख्य बातें
International Council of Jurists (ICJ) और ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (AIVA) ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से चीन की शिकायत दर्ज कराई है। चीन के “बड़े पैमाने पर विनाश के लिए सक्षम जैविक हथियार विकसित” करने पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से शिकायत में मुवावजे की मांग की गयी है।
इस शिकायत को वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश सी. अग्रवाल द्वारा दर्ज करवाया गया है। जोकि ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के सभापति और इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ जुरिस्ट्स के अध्यक्ष हैं। उन्होंने शिकायत में लिखा कि घातक कोरोनावायरस के प्रसार की वजह से दुनिया भर में हजारों लोगों को अपनी जान गवानीं पड़ी है।
अग्रवाल ने शिकायत में कहा, “यह विनम्रतापूर्वक प्रार्थना की जाती है कि UNHRC चीन से पूछताछ करे और उसे निर्देश दे की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अन्य राष्ट्रों, विशेष रूप से भारत को मानव जाति के व्यापक विनाश के लिए जैविक हथियार विकसित करने के लिए पर्याप्त रूप से मुआवजा दियाजाये।”
अधिवक्ता ने दुनिया पर गंभीर शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचाने के लिए चीन से पारिश्रमिक की मांग की है। अग्रवाल ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी महामारी के प्रभावों, वस्तुओं की मांग में असंतुलन और हाशिये के लोगों के प्रवास पर भी ध्यान दिया है।
शिकायत में कहा गया है, “देश की आर्थिक गतिविधि को रोक दिया गया है, जिसके कारण देश की स्थानीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सामान्य तौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान हुआ है।”
शिकायत में आगे दावा किया गया है कि चीन ने सावधानीपूर्वक विश्व में कोरोनावायरस को फैलाने की साजिश रची और International Health Regulations (IHR), International Human Rights और Serious Violations of International Humanitarian Laws और UDHR के गंभीर नियमों का उलंघन किया है।
शिकायत में यह भी कहा गया कि “यह अभी भी एक रहस्य बना हुआ है कि कैसे वायरस चीन के सभी प्रदेशों में नहीं फैला है, जबकि इसी समय यह दुनिया के सभी देशों में फैल गया है। इस तरह की अटकले इस बात की सम्भावना को बढ़ाती हैं कि COIVD-19 एक सावधानी से बनाया गया जैविक हथियार है, जिसका उद्देश्य दुनिया के प्रमुख देशों की स्थिति को गंभीर करना हैं ताकि चीन इसका लाभ उठा सके। ”
शिकायतकर्ता ने आगे दावा किया कि वायरस को वुहान वायरोलॉजी लैब में विकसित किया गया था जहां से चीनी आबादी लगभग 0.001% तक प्रभावित हुई है और यह सबकुछ योजनाबद्ध तरीके से किया गया था।
उन्होंने कहा कि चीन ने आर्थिक पतन के कगार की ओर बढ़ रहे देशों के शेयरों को खरीदकर दुनिया की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए कोरोनोवायरस का स्तेमाल किया है।
चीनी सरकार ने जानबूझकर इससे जुड़ी जानकारी छुपाई, और Dr. Li Wenliang द्वारा दी गई शुरुआती चेतावनियों को भी छिपा दिया था। और तो और चीन में स्थानीय अधिकारियों द्वारा Dr. Li Wenliang को फटकार भी लगाई गई थी और दंडित किया गया था। “सरकार ने भी पर्याप्त रूप से इस पर ठोस कदम नहीं उठाये हैं और दुनिया को दूषित करने से बचनें के लिए संक्रमित व्यक्तियों की यात्रा पर अंकुश भी नहीं लगाया।”
GGI का प्रभाव
शिकायत में यह कहा गया है कि चीनी सरकार ने नॉवेल कोरोनावायरस के निष्पादन और प्रसार की योजना बनाई है। और इसका अनुमान इस तरह लगाया जा सकता है कि चीन ने इस परिस्थिति को कैसे संभाला है जबकि पूरे विश्व में इस वायरस के प्रसार के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। जैसा कि पहले बताया गया है, कि यह एक रहस्य बना हुआ है कि कैसे वायरस चीन के सभी प्रदेशों में नहीं फैला है, जबकि एक ही समय में, यह दुनिया के सभी देशों में फैल गया है।
शिकायत ने ग्रेटगेमइंडिया की जांच के निष्कर्षों को सबूत के रूप में प्रस्तुत किया है। GGI की जांच कोरोना वायरस एक जैविक हथियार में पाया गया कि कैसे चीनी बायोवारफेयर एजेंटों ने कनाडाई लैब से कोरोनवायरस को चुराया और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में इसे एक हथियार के रूप में तैयार किया।
कनाडा में चीनी वैज्ञानिकों के एक समूह पर जासूसी करने का आरोप लगाया गया था और अगस्त 2019 में कुछ समय के लिए कनाडा की नेशनल माइक्रोबायोलॉजी लैब (NML) से उन्हें निष्काशित कर दिया गया था। कनाडा की NML को दुनिया के सबसे घातक रोगजनकों में से कुछ के रूप में जाना जाता है। इन वैज्ञानिकों को फिर एक उच्च सुरक्षा जैव रासायनिक ‘वुहान लैब’ में भेजा गया, जो दुनिया के सबसे भारी संरक्षित प्रयोगशालाओं में से एक है। और फिर इन वैज्ञानिकों ने बाद में COVID-19 वायरस विकसित किया और इसे वुहान में दिसंबर 2019 के शुरुआती दिनों में लीक कर दिया, जहां से यह वायरस फैला था।
इसके अलावा शिकायत में दुनिया भर में प्रमुख विशेषज्ञों और प्रभावशाली हस्तियों द्वारा उठाए जा रहे इन तथ्यों को दबाने के लिए मुख्यधारा की मीडिया के एजेंडों पर भी भारी वार किया गया है।
इस तरह के शक्तिशाली और घातक वायरस के विकास का उद्देश्य एक रहस्य बना हुआ है। हालांकि, इस बात को प्रमाणित करने के लिए ठोस सबूत हैं कि चीनी सरकार दुनिया की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए कोरोंनावायरस का उपयोग कर रही है। वैश्विक महामारी के पीछे जैविक युद्ध की परिकल्पना को कुछ सप्ताह पहले ही रूसी विशेषज्ञों ने उठाया था।
हर प्रकार की राय जो पश्चिमी सरकारों और उनकी मीडिया एजेंसियों के आधिकारिक संस्करण से थोड़ी अलग है, उसका उपहास किया गया और “षड्यंत्र सिद्धांत” (conspiracy theory) होने का आरोप लगाया गया। हालांकि, जल्दी ही पृथ्वी पर दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने इस संभावना को ध्यान में रखते हुए एक नोट प्रकाशित किया, जिसमे उन्होंने षड्यंत्र सिद्धांत (conspiracy theory) को ख़ारिज करते हुए इसे सार्वजनिक विचारों और आधिकारिक सरकार का मुद्दा बताया।
जैविक युद्ध के लिए चीन के खिलाफ $20 ट्रिलियन का मुकदमा
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारतीय शिकायत के अलावा, अमेरिकी वकील और रूढ़िवादी कार्यकर्ता Larry Klayman, व उनकी कंपनी BuzzPhoto और उनका समूह FreedomWatch द्वारा चीन के खिलाफ एक जैविक युद्ध छेड़ने के लिए $20 ट्रिलियन का मुकदमा भी दायर कराया गया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि चीन नें कोरोनावायरस के रूप में एक जैविक हथियार तैयार किया है जिससे दुनिया पर काफी दुष्प्रभाव पड़ रहा है।

मुकदमे में, Klayman ने तर्क दिया है कि क्योंकि चीन पहले ही जैविक हथियार कन्वेंशन संधि में नवंबर, 1984, को अपने हथियारों को रद्द करने के लिए सहमत हो गया था, इसलिए यह कार्यवाई पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की आधिकारिक सरकारी कार्यवाई नहीं हो सकती हैं और नतीजतन चीन क्लास एक्शन मुकदमे से कानूनी प्रतिरक्षा का दावा नहीं कर सकता है।
Klayman ने एक बयान में कहा, “कोई कारण नहीं है कि चीनी सरकार द्वारा किए गए जबरदस्त नुकसान का भुगतान अमेरिकी करदाता करें। चीनी लोग एक अच्छे लोग हैं, लेकिन उनकी सरकार अच्छी नहीं है और उसे इसके लिए उन्हें मंहगा भुगतान करना होगा।”
Klayman नें हर्जाने में $20 ट्रिलियन की मांग की है और प्रभावित अमेरिकियों से अपनी वेबसाइट Freedom Watch USA पर साइन अप करने और क्लास एक्शन मुकदमा का हिस्सा बनने का आह्वान किया है। और यह मामला Texas Federal Court में दायर किया गया है।
Klayman केवल ऐसे अकेले इंसान नहीं है जिन्होंने इसे चीन की जैविक युद्ध गतिविधियों का हिस्सा बताया है। उनके आलावा चीन द्वारा इस वायरस का दुरुपयोग करने पर चीन की वैश्विक आलोचना हो रही है और दुनिया की कई प्रमुख हस्तियों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इन गंभीर मामलों की जांच करने और कार्रवाई करने का आग्रह किया है।
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